मुश्किल से 10 %...
अब वापस आ जाइये....अब बताइए ? अब कितने लोग जानते है इस महान लेखिका के बारे में?? अब तो सब जान गए होंगे.....
वैसे मीडिया का आजकल खूब फायदा उठाया जा रहा है देखा जाए तो.....
क्यों क्या कहते है आप?
इसका ताज़ा उदाहरण है मिस अरुन्धिता रॉय....
मुझे नही पता की क्या चल रहा है इनके मन में ? क्या ये सच-मुच कश्मीर और कश्मीर में रह रहे लोगो के बारे में इतना सोचती है या फिर चर्चाओ में बने रहने का ही एक मात्र उदेश्य है इनका....
जो भी हो ये तो ये ही जानती है...
कहने का मतलब ये कि आप कुछ बोलते हो तो बोलने से पहले सोच भी लेना चाहिए कि आप दो लोगो के बीच बैठकर बात नही कर रहे
आप आम आदमी के मंच पर बैठे हुए हो और सभी लोग आपको बात सुन रहे है...अपने आप को इतनी बड़ी लेखिका बताती हो और ऐसा बचपना करती हो?
कश्मीर को भारत से अलग करने की बात करती हो? कहती हो कि कश्मीर को आज़ाद कर देना चाहिए? भूल गयी तुम कि भारत ने कश्मीर को बचाए रखने के लिए क्या क्या कुर्बानियां दी है..कितने जवानों को शहीद होना पड़ा...आज तक उन जवानों के घर गयी कभी तुम? उस माँ के पास गयी जो आज भी ये आस लगाये बेठी है कि उनका बच्चा वापस आएगा लौट के कभी....??
उस विधवा पत्नी का हाल जानने कि कोशिश भी की जो आज तक इंतज़ार करती है अपने पति के आने का ? मुझे तो शर्म आती है आपको लेखिका का दर्जा देते हुए भी....कहो जवानों के घर गयी तुम कभी?जाना कभी उस माँ का हाल और विधवा औरत का हाल?
लेखिका हो तो वैसा कुछ काम भी तो करो...लोगो को जोड़ने की बात करने की बजाए लोगो को तुडवा रही हो?
ये जानते हुए कि वहाँ कब से दिक्कते चली आ रही है...कब से दंगे फसाद चले आ रहे है? कितना संवेदनशील इलाका है वो.......
आप कहते हो कि "मैंने कश्मीरी लोगों के लिए इंसाफ के बारे में कहा है, जो दुनिया के सबसे क्रूर फौजी कब्जे में रह रहे हैं.."
पहली बात तो आप जान लो कि जिन फौजियों की आप बात कर रही हो वो क्रूर नही बल्कि देशभक्त है...हमारे देश की सेना को ही तुम ठीक नाम नही दे सकी तो कश्मीरियों के बारे में क्या ख़ाक सोचोगी? बड़ी चिंता है तुम्हे इन्साफ की तो पहले कहाँ थी तुम ? अचानक इतना प्रेम कैसे उमड़ रहा है? कुछ नही है साहब अपने आप को चर्चाओ में रखने की आदत है इन्हे...ये सब बकवासबाजी है...
कम से कम लोग किसी हद्द तक तो रह रहे है चेन अमन से...वो चेन अमन भी छीनना चाहती है आप ?
आप कहती हो कि "मैं कल शोपियां गयी थी – दक्षिणी कश्मीर के सेबों के उस शहर में, जो पिछले साल 47 दिनों तक आसिया और नीलोफर के बर्बर बलात्कार और हत्या के विरोध में बंद रहा था। इन दोनों युवतियों की लाशें उनके घरों के पास की एक पतली सी धारा में पायी गयी थी और उनके हत्यारे अब भी कानून से बाहर हैं"
लेखिका जी किसी के बारे में चिंता करना अच्छी बात है और मुझे सच में अच्छा लगा कि आप इतना कुछ सोचती हो लोगों के लिए...
पर ये तो आपको भी पता होगा कि ऐसा सिर्फ कश्मीर में ही नही भारत के कोने कोने में होता आया है......तो क्यों नही आप अपने लेखिका होने का कर्तव्य निभाएं और उन तमाम लोगों के बारे में लिखना शुरू करे जिनके साथ ऐसी या इनसे भी बुरी घटनाएं हुई है...
आज तक किसी शहीद के घर तो जा नही सकी..चलो कोई बात नही..तो कम से कम इन तमाम लोगो के घर जाकर क्यों नही इनको भी इन्साफ दिलवाती हो?
है दम तो कल से ही शुरू कर दो अपना इन्साफ दिलवाने का ये अभियान? लेकिन आप ऐसा नही करोगी क्योंकि कथनी में और करनी में दिन रात का अंतर होता है....बोलना आसान है मैडम करना बहुत मुश्किल है.........
चलो छोडो यार मैं तो कहता हूँ पूरे देश में सबको इन्साफ मत दिलवाओ, दिल्ली चले जाओ
दिल्ली में ही ना जाने कितने लोग है,ना जाने कितने गरीब और आम आदमी है जिनकी कोई परख कद्र नही है...वहाँ इन्साफ दिलवाओ सबको
वहाँ जाकर भी ऐसे विवादास्पद बयान दे देंगी आप तो
तो क्या दिल्ली को भी आज़ाद कर देंना चाहिए तुम्हारी नज़र में..??
ऐसा कुछ तो काम करो कहीं तो इन्साफ दिलवाओ ? मैं क्या ये पूरी अवाम मानेगी कि आप सच में भारत के लिए इतना सोचती है...नही तो मान लीजियेगा कि आपका वो बयान सिर्फ और सिर्फ अपने आप को चर्चाओ में बने रहने के लिए दिया गया था......
तुम कहती हो ना कि "मुझे तरस आता है उस देश पर, जो लेखकों की आत्मा की आवाज को खामोश करता है। तरस आता है, उस देश पर जो इंसाफ की मांग करनेवालों को जेल भेजना चाहता है। "
अगर इतनी ही परेशानी है तो ठीक है ना क्यों नही छोड़ देती ये देश? ऐसा देश जहाँ तुम्हारी बात पर तुम्हे जेल भेजने की मांग की जाती है ? जाओ बहन जाओ नही चाहिए हमें ऐसी महान लेखिका जो देश को तोड़ने की बात करे...........
तुम्हारी ये बातें सुनकर ये बकवासबाज़ी सुनकर मैं एक ही नतीजे पर पहुँच पाया हूँ अब तक
तुम उन गद्दारों मे से हो जो जिस थाली का खाते है उसी थाली में छेद करते है .....बंद करो अपनी ये चीप और सस्ती सोच के साथ पब्लिसिटी पाने की दुकान......आज़ादी मिली हुई है इसका मतलब ये नही कि कुछ भी आप बकवासबाजी करे.............
15 comments:
अरुंधती पहले भी कई बार मसीहा बनने का प्रयास किया है. इसी करने चक्कर में नर्मदा आन्दोलन के लिए मेधा पाटकर जी का समर्थन किया पर वहां उन्हें मीडिया बेबी बनने का मौका मिला नहीं. उसके बाद उन्होंने काफी मेहनत के बाद शसस्त्र वाम विचारों से सम्बन्ध जोड़ा. वहां भी उन्हें देवी बन्ने का मौका नहीं मिला उन्हें 9 नम्बर मिला और सारा मीडिया ध्यान स्वामी अग्निवेश खींच ले गए. अंत में ठाकर उन्होंने यह खेल खेला क्योंकि वह जानती है की उनके भाषा के पाठक वर्ग के बड़े नेता अमेरिका के राष्ट्रपति आ रहे है. तो सारा ड्रामा ध्यान खीचने के अलावा कुछ नहीं है.
सब अपनी अपनी रोटी सेक रहे है, अरे जरा जाकर उन कश्मीरियों से तो पूछो की वो कैसे जी रहे है पिछले ४-५ एअहिनो से, तिल तिल मर रहे है लोग, और ये सब क्या हो रहा है
सारा ड्रामा न. एक ...
सही लिखते हो। आपको चिंतन करना और जानकारी लेना हो तो कृपया पधार कर नज़र करें मेरे ब्लॉग पर, या हस्तक्षेप पर या नुक्कड पर या फिर चिंतन पर...। आपको तो पढना ही चाहिये क्योंकि आप इस सन्दर्भ में विचार कर रहे हैं और यह विचार भी निस्संदेह सही दिशा में है।
bhut acha jawab diya h aapne....isko to poori janta k saamne aana chahiye aise log hi humare bharat desh ko todne ka prayas kar rahe h....inko smjhana hoga...tabhi maanege...
BAHUT ACHHA LIKHA AAP G NE -----
No doubt dis is all publicity stunt for her upcoming book..लेकिन विचारों को विचारों से ही काटा जाना चाहिये न की चीप या बकवास कहकर...और मीडिया को भी चाहिये की उनके विचारों को ज्यादा हवा ना दे ....जिससे की उन्हें भी मुफ्त की TRP न मिले.............
jo aurat ek mard ki hokar na rah saki wo ek desh ki hokar kaise rahegi??? aadat hai iski idhar udhar muh marne ki. sala novel bhi aisa likhi hai ki mujhe porn dekhne ki jarurat hi nahi hoti kabhi.
yadi galti se ek baar kisi ko koi bara sammaan mil jaaye to vo shaks apne aapko apne deshwasiyon ( jabki vo uska desh nai hai )ka rahnuma samjhne lagta hai aur apni publicity ke liye sabhi tarah ke hathkande apnaney ke liye taiyaar rahta hai. vaise arundhati ji aap bharat me kitne din rahi hain aur kya jaanti hain bharat aur bharat ki samsyaoon ke baarey me.??
aise logo ke to sabhi puruskar cheen lene chhiye jo kewal apni jhuti publicity ke liye ultey seedhey comment kartey hon.
दरअसल,हमें भी इस मसले पर एक पर एक पक्षीय विचार नहीं रखना चाहिये..उन्होंने जूता खाने का काम किया मगर जूता मारना हमारी परम्परा नहीं है और न ही ये विरोध का सबसे अच्छा तरीका..दूसरी बात इस तरह के प्रकरणॅ में जूता खाने वाला और जूता व जूता मारने वाला ये सभी फेमस हो जाते हैं,जूता मारने वाला तो कभी-कभी जबरन अपनी गिरफ्तारी देने पर भी आमादा हो जाता है...
इसमें सब राजनीति करते हैं समस्या से किसी का कोई लेना देना नहीं है....
Data main kuch log hat ke chalna like karte hai, chahe iske liye unhe sab kuch kyon na gawana pade. yeh jo MAHODAYA Ji hai, yeh bhi kuch aise hi Nature ki hai. Inko hindustan ras nahi aa raha hai. Yeh khati to hindustan ki hai par Gungan Pakistan ki gaa rahi hai. Watever jo bhi reason ho, YA To yeh Histry ko padna bhool gayee hai, yaa fir inko paki Citizenship mil gayee hai. AISE GADDAR LOGO KO SARE AAM FAASI DE DENI CHAHIYE.. HINDUSTAN KE HIT KE LIYE...Main manta huin Faasi Solution nahi hai, Lekin desh ko todne wale ko katai maaf nahi kiya jaana chahiye, INKE SATH VAISA HI BARTAV HONA CHAHIYE JAISE KI EK DESHDROHI ( kassab ) ke sath.
very nice write up..i wish k arundhati ji ise padhen aur realize karen k desh ko todne ki (nakaam )koshish krke kitna bada paap kiya hai unhone......
I also want to ask one question to u as u r a media person...being a media student i want to ask u that y media tolerates such nonsense??? y do we (media people) help people like arundhati to gain publicity ???
Y cant we address better issues?????..There are so many problems in this country n people like arundhati do nothing except increasing the problms of the nation.......
बहुत ही बढियां लेख , अरुंधती पढ़ ले तो दिमाग खुल जाएँ , इन देशद्रोहियों को जेल में होना चाहिए मगर सरकार सदैव की तरह अपने राजनीति मजबूरियों ( न जाने कैसी मज़बूरी है )के कारण हाथ बंधे हुए हैं
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