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Friday, August 26, 2011

हमें यूँ ना सताओ....!!!


आम आदमी को खूब चूसा गया ये चुप रहा, खूब माल खाया गया इसका ये चुप रहा, इसे मारा गया इसे घसीटा गया, बेवजह इसको हर बात पर, हर मुद्दे पर निशाना बनाया गया ये फिर भी चुप रहा और ऐसा नही है कि चुप रहने, खामोश रहने का ये सिलसिला कोई नया हो,लम्बे अरसे से चला आ रहा है ये सबकुछ ,साठ साल से ज्यादा हो गए अत्याचार सहते सहते हमें लेकिन इसका अंत हमें अब तक नही मिला

कमाते हम है महेनत हम करते है, खाता कोई और है, हम बन्दर है जो नाच दिखाते है और मदारी ये नेता लोग है जो हमें कब से दबाए जा रहे है नचाये जा रहे है, हम बहुत भोले है, क्या कुछ नही सहा हमने और क्या कुछ नही किया इन्होने

हमें मार मार के अधमरा कर छोड़ा हम फिर भी चुप रहे, हमारा सारा पैसा ये खा गए, हम फिर भी महेनत करते रहे इस उम्मीद के साथ कि कभी ना कभी तो इनका पेट भरेगा,यहाँ हम मर जाते है काम करते करते लेकिन इनका पेट नही भरता,

छोडिये जनाब कई बातें है कई शिकायतें है क्या क्या बयाँ करें अरे कब से मरते आ रहे है हम, कब से हम इनके साथ एडजेस्ट ही कर रहे है, कब से इन्हें खिला रहे है,खुद भूखे रह कर इनका पेट भर रहे है, अपने बच्चे का पेट काटकर इन्हें देते है, अरे हमारी कोई मांग नही है बस एक चीज़ मांगते है ये भ्रष्टाचार कम कर दो अब हमें भी थोडा जीने दो, बहुत जी लिए हम यूँ मर मर कर, अब हमें भी हमारी कमाई का कमाया एक दाना खाने दो, कुछ रहम कर दो, भगवान के लिए बंद कर दो ये काली राजनीती, बंद कर दो ये गन्दा सियासी खेल

वहाँ 74 साल का बूढा बैठा है, कब से कुछ नही खाया है उसने, उसकी एक बात तो मान लो हमारी मत मानो,उस बुजुर्ग का तो ख्याल करो उसकी उम्र का तो लिहाज़ करो, क्यों हमें, उन्हें यूँ सता रहे हो, क्यों हमें ये सोचने पे मजबूर कर रहे हो कि हमने तुम्हे चुन कर गलती की

क्यों हमारी ख़ामोशी का इस कदर इम्तिहान ले रहे हो, क्या बिगाड़ा है हमने तुम्हारा, तुमने जो माँगा वो हमने दिया, अपना पैसा, अपना वक्त, अपना घर, अपनी ज़मीं, अपनी जान सब कुछ तो तुम्हे दे दिया ये जिंदगी तुम पर कुर्बान कर दी अब क्या चाहते हो

हमें और मत मारो, हमें और मत सताओ, हमारी ख़ामोशी को यू मत परखो, हमारा मजाक यू मत उड़ाओ, हाथ जोड़कर विनती कर तुमसे कह रहे है जीने दो जीने दो जीने दो जीने दो, हम नही चाहते कि हमारा गुस्सा फूटे, इस चिंगारी को और मत भड़काओ इसे यूँही पड़े रहने दो, मत सुलगाओ, ये सुलग गयी फट गयी तो कुते की मौत मारे जाओगे, सड़क पर नंगा करके तुम्हे मारा जायेगा, क्यों खुद अपने लिए कब्र खोद रहे हो, ये आम आदमी शांत बैठा है इसे मत जगाओ

हमें मत सताओ मत सताओ मत सताओ, हमें मजबूर मत करो, एक मांग है मान लो फिर कभी कुछ नही मांगेंगे. इतना कुछ किया तुम्हारे लिए, बस ये काम कर दो हमारे लिये, तुम्हारा ये एहसान मरते दम तक नही भुलंगे, हमें मत यूँ परेशां करो हमारी ख़ामोशी को हमारी कमजोरी मत समझो, यकीं करों ये सब कुछ जो हम समझा रहे है इसमें भी तुम्हारी ही भलाई है, पता है ना अगर तुम्हे हमारे दिल में पड़ी ये चिंगारी अगर सुलग गयी तो एक सेलाब आ जायेगा और सबसे पहले तुम नीच लोगों को, भ्रष्ट लोगों को मिटाएगा, क्यों अपनी मौत को बुलावा देते हो भावी नेताओ,सुधर जाओ सुधर जाओ सुधर जाओ

हमें यूँ ना सताओ यूँ ना सताओ यूँ ना सताओ.........!!!!!!


दिल से धन्यवाद, 
मोहक शर्मा