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Sunday, May 15, 2011

ये जो लोग है ये पहले ऐसे ना थे......!!!


ये जो लोग है ये पहले ऐसे ना थे, परेशां थके हुए हारे हुए, प्रकति से रूठे हुए, अपनों से नाराज़, अपनी धुन में खोये हुए, समाज से कटे हुए, दूसरों से बेवजह इर्ष्या करने वाले, ये जो लोग है ये पहले ऐसे ना थे.......


खाली जिन्दगी, नीरस जिंदगी बिताने वाले, खुशियों से दूर भागने वाले, चिंताओं को गले लगाने वाले, ये जो लोग है ये पहले ऐसे ना थे........


भगवान को ना पहचानने वाले, भगवान को गाली देने वाले ,पैसे को भगवान मानने वाले ये जो लोग है ये पहले ऐसे ना थे

तो पहले कैसे थे ये लोग.....? 
पहले लोग बहुत खुश थे, एक दूसरे से निस्वार्थ भाव से प्यार करते थे, प्यार की खुशबू फिज़ा में घुली हुई थी, खुशहाल जिन्दगी थी, सारे मौसम बड़े महरबान दोस्त थे सभी के, इंसानों के लिए सभी रस्ते दावत नामे थे, शाम को सब सितारे बहुत मुस्कुराते थे जब देखते थे इंसानों को, इनकी खुशियों को,इनकी एक जुटता को,इनके आपसी प्यार को.....!!!


फिर एकाएक अचानक एक आंधी आई, एक भूचाल आया, आंधी एक ऐसी आंधी जो बिल्कुल शांत थी, भूचाल एक ऐसा भूचाल जो दबे पैर आया, किसी का कुछ नही बिगाड़ने वाला ये भूचाल था, किसी की भी आँखों में मिट्टी ना डालने वाली ये आंधी थी


ये आये और चले गए, लोग हैरान थे भोच्क्के थे, मन में एक सवाल लिए कि इस बार इन्होने हमारा कुछ बिगाड़ा क्यों नही,एकाएक लोग खुश हुए, देखा कि ये हमारे लिए कुछ छोड़ गए है, हर बार ये आते थे कुछ ना कुछ लेकर जाते थे पर आज ये कुछ देकर गए हमें.....


लोगों ने खुशी खुशी पेड के नीचे पड़ी इस पुडिया को खोला तो पाया कुछ अलग था ये तोहफा, गोल गोल चमकदार था ये.....


लोग खुशी से झूमे नाचे गाये लोगों को इसे देखकर खुशी हो रही थी, पर जिनके हाथ ये ना आया था उन्हें अपने भाइयों से ही इर्ष्या होने लगी, उन्होंने भी ठान ली इसको पा लेने की, लोग महनत करने लगे इसे कमाने के
लिए......(जो सिलसिला आज भी चल रहा है)


दरअसल वो भी क्या समय था जब इंसां को इस फफूंद के बारे में पता ही नही था. सब कितना खुश थे, कोई
भेदभाव ना था कोई बैर ना था, जो लाते उसको बराबर बराबर करके बंटवारा करते थे, कोई चिंता नही थी.....


खाओ पीयो ऐश करो की जिंदगी थी...


समय का चक्र घूमा,बदला ये ज़माना.फिर आये नए लोग इस मतलबी दुनिया में, इनका भगवान था ये पैसा, इनके माँ बाप था ये पैसा, इनका रिश्तेदार था ये पैसा, जैसे जैसे बड़े होते गए पैसा कमाने की होड में खुद को भूलते गए....


आज जो हालत है सबके सामने है, ये पैसा सबका सब कुछ बिगाड़ता है सब कुछ छीन लेता है, ना जाने कितनो
से दुश्मनी करवाता है.....


ये बात जानते हुए कि पैसा किसी के बाप का सगा नही, हम इसका सगा बनने की कोशिश करते है और हर बार मुह की खाते है, बड़ी चालाक चीज़ है ये पैसा, मंझा हुआ खिलाड़ी है ये पैसा, कितनो को लड़वाता है कितनो को मरवाता है कितनो को बर्बाद करता है लेकिन फिर भी ये आज तक किसी का दुश्मन नही बना, आज भी भगवान बने बैठा है....


भगवान एक ऐसा भगवान जो किसी का नही है जो कभी किसी तो कभी किसी जेब में पड़ा मिलता है, जिसके पेंदे का कोई लौटा नही,कभी इधर लुडकता है तो कभी उधर..


कभी यहाँ  खुशिया लेकर आता है तो कभी वहाँ बर्बादी लेकर आता है


पैसे ने अपना काम कर दिया, लोगों को दुश्मन बना दिया, खुशिया छीन ली, परेशां कर दिया, थका दिया हरा दिया इसने, प्रकति से रुठ गया इंसान इसकी वजह से, समाज से कटवा दिया इसने सब को, पर भी आज भी ये लोगों के दिल पर राज करता है, भगवान बना बैठा है आज ये ढोंगी भगवान


ये मेरे बाप सगा है ना तेरे बाप का, ये जानते हुए भी आज हम इसके पीछे भाग रहे है, दौड़ रहे है, इंसान का बचपन ये खा गया, जवानी ये चाट गया, बुढापे में आने से पहले इसने अधमरा कर छोड़ा  और बुढापे में आते आते जो दीया ही बुझा दिया....


अब सोचता हूँ मैं......
क्यों आई थी कभी किसी वक्त वो आंधी, क्यों आया था वो भूचाल, क्यों हमें ये दे गए मीठा ज़हर, क्यों दिया हमें ऐसा जहर जो तिल तिल के ना जाने कितनो को निगल गया, क्यों दिया हमें ऐसा ज़ेहर जो रिश्ते खा गया, जो हमसे हमारों को छीन ले गया.....


काश वो आंधी और तूफ़ान हर बार की तरह सभी कुछ उजाड कर चले जाते, काश वो उन सभी इंसानों को अपने साथ ले जाते, तो वो पेड़ के नीचे पड़ी पुडिया ही नही खुल पाती या काश फिर एक आंधी आती और उस पुडिया को ही उड़ा ले जाती.....काश...काश...काश....!!!


काश...काश..तो ये लोग है अभी, ये ऐसे ना होते......!!!!



दिल से धन्यवाद,
मोहक शर्मा....