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Sunday, March 13, 2011

जिंदगी न्यूज़ एंकर की....!!!

नमस्कार आप देख रहे है डी.डी. न्यूज़, आज की ताज़ा खबरे.......पंद्रह मिनिट तक खबरे चली और बंद हो गयी...एंकर शुरू से लेकर आखिर तक जैसे कुर्सी पर था वैसे ही रहा ना हिला ना डुला...जैसे कि फेविकोल का जोड़....

बैठ कर बोलना होता था.....खबरें चाहे ख़ुशी की हो या दुःख की...गंभीरता भरी हो या व्यंग करती....एंकर के चेहरे पर ना हसी होती थी ना मुस्कुराहट ना गंभीरता....

ये सब छोड़ो अगर गर्दन भी इधर से उधर हो जाए तो बवाल हो जाता था और एंकर साहब की नौकरी खतरे में....तो ये था एंकर कल तक.....

नमस्कारआप के साथ मैं हूँ मोहक शर्मा और आप देख रहे है स्टार न्यूज़..अब तक की सबसे बड़ी खबर दिल्ली से आ रही है जी हाँ क्या हुआ है दिल्ली में....चलिए लिए चलते है आपको खबर की ओर,
आपको बता दे कि आज सुबह तडके पांच बजे हुई है चोरी...जी हाँ पच्चीस लाख रूपये की वारदात को अंजाम दिया गया है, पश्चिमी दिल्ली का इलाका है जहाँ एक बार फिर चोरों के होंसले बुलन्द दिखाई दिए है....वगैरह वगैरह.......!!!!

फर्क महसूस किया आपने? ये तो मैं आपको लिख कर महसूस करने को कह रहा हूँ...असली मज़ा तो तब है जब आप एंकर को टीवी पर देखते होंगे....एक अलग ही आत्विश्वास नज़र आता है आज के एंकर में....क्या अदा के साथ क्या स्टाइल के साथ कैसे मोहक तरीके से कहता है अपनी बात...विश्वास ना हो तो मियूट करके देख लीजियेगा कभी....आज के इस एंकर के हाव भाव से ही पता चला जायेगा कि कोई दुःख कि खबर सुनाई जा रही है या खुशी की....
हर खबर पर चेहरे के हाव भाव क्या आसानी से बदले जाते है....तो ये है आज का एंकर और वो जो पहले ज़िक्र किया था मैंने वो था कल का एंकर....


चलिए ये तो एंकर की बात, बात करते है न्यूज़ रीडर की...लोग मानते है कि न्यूज़रीडर और न्यूज़एंकर एक ही चिड़िया का नाम है, पर लोगों का क्या है, लोगों का तो काम ही कहना है,


पर मेरा ख्याल है कि ऐसा बिलकुल नही है, सरासर गलत सोच है ये लोगों की, एक न्यूज़एंकर और एक न्यूज़रीडर में बहुत बड़ा फर्क है....!!!


सही मायनों में न्यूज़एंकर वो है जो पांच लाइन के साथ ही आधे घंटे खेलना जानता हो, न्यूज़एंकर वो है जिसे पता है कि अब उसे आगे क्या कहना है,अगर टीपी अटक गयी है या किसी टेक्निकल कारण से कुछ दिक्कत आ गयी है तो न्यूज़एंकर की यही खासियत है कि उसे चुप नही होना है लगातार कुछ ना कुछ बोलते रहना है, लोगों को बाँध कर रखना है, न्यूज़एंकर वो है जिसको कैमरे का डर ना हो,जिसकी कैमरे से अच्छी दोस्ती हो, 


अगर आप टीवी देख रहे है और कहीं कोई अटक जाता है चुप पड़ जाता है न्यूज़ बोलते बोलते तो समझ जाइयेगा वो न्यूज़रीडर है अभी उसे बहुत वक्त लगने वाला है न्यूज़एंकर बनने में...!!!


सौ बातों की एक बात "लास्ट एडिटर न्यूज़एंकर ही होता है" सहमत है आप ? 
यार सीधी बात है अगर कहीं पीछे से गलती हुई है, कभी कहीं कुछ और दिखाने की जगह कुछ और चल गया है तो लोग यही कहेंगे कि "क्या बेवकूफ है ये,पढ़ क्या रहा है दिखा क्या रहा है",कहेंगे ना?


जबकि देखा जाए तो इसमे गलती न्यूज़एंकर की नही है, कंट्रोल यूनिट की है, पर लोग ये नही समझते है, और इसमे लोगों की गलती भी नही है, लोगों को सिर्फ अच्छे रिजल्ट से मतलब है,
उन्हें कोई मतलब नही है कि गलती कहाँ हुई किससे हुई क्यों हुई कब हुई, एक गलती हुई नही कि चैनल चेंज,
ये टीवी का रिमोट बहुत बड़ी ताकत है आम आदमी की,एक गलती हुई नही कि हो गया नाराज़

साफ़ है जैसा कि मैंने पहले कहा कि "लास्ट एडिटर न्यूज़एंकर ही होता है" शायद अब आप समझ गए होंगे....!!!


लोग मानते है कि न्यूज़एंकर होना बहुत अच्छी बात है, बड़ी बात है, क्या किस्मत होती है उनकी जो न्यूज़एंकर होते है, रोज टीवी पर आते है, कितना मज़ा आता होगा ना..वगैरह..वगैरह....!!!
(यहाँ शुरू से लेकर अब तक मैं "न्यूज़एंकर" शब्द ही इस्तेमाल कर रहा हूँ क्योंकि सही माएने में यही शब्द ही हमारी इस नोकरी की शान बढ़ाता है, मेरी नज़र में "न्यूज़रीडर" की कोई ओकात नही, ऐसा मैं क्यों बोल रहा हूँ ये आप समझ गए होंगे जिसको लेकर मैंने अभी ऊपर अपने विचार रखे थे)
पर ऐसा बिलकुल नही है, हाँ टीवी पर आना किसे पसंद नही है, पर यहाँ बात टीवी पर आने की नही है, ये एक जिम्मेदारी है, बहुत बड़ी जिम्मेदारी, एक ऐसी जिम्मेदारी जिसे आपको बाखूबी निभाना आना चाहिए


यार आपको लोग सुन रहे है, आज आप जिस मुद्दे पर अगले आधे घंटे तक बहस करने वाले हो,आपकी उन बातों पर ध्यान दिए जाने वाला है, आप जो कहेंगे वही लोग मानेंगे, तो अगर मैं मेरी बात करूँ तो मैं इस जिम्मेदारी को एक जिम्मेदारी की ही तरह लेता हूँ, इस काम को काम की तरह ही लेता हूँ


किसी भी मुद्दे पर बात शुरू करने से पहले दिल में ये नही होता कि तू ऑनएयर होने वाला है, दिल में ये होता है कि जो भी कहना है डंके की चोट पर कहना है, तथ्य के साथ कहना है, बेबाक कहना है दो टूक कहना है, और सबसे बड़ी बात जो है वो ये कि ये मेरा काम है मुझे इसे काम की ही तरह करना है, टीवी पर आने की खुशी में उतावला कतई नही होना है


ख़ैर ये तो हुई अपने काम की बात, पर निजी जिंदगी की अगर बात करूँ तो सचमुच बहुत अच्छा लगता है जब अनजाने लोग आपको पहचानने लगते है और कभी कहीं कोई आपसे आकर कहने लगता है कि "यार शायद आपको टीवी पर देखा है" ज़ाहिर सी बात है अच्छा लगता है, खुशी होती है 
एक अलग ही एनर्जी मिलती है


To Be Continued......!!!!

5 comments:

chaibiskutt said...

शोहरत पसंदी यहाँ तक लायी है..

बेनूर सवेरों ने बरसों से जकड़ रखा था..

welcome hai....blog ki duniya me...

Anonymous said...

बहुत अच्छी और सच्ची बात बताई है आपने|धन्यवाद!

अमिताभ श्रीवास्तव said...

बंधु, सब सही है।

Ajay Singh Chauhan said...

सच्ची बात बताई है आपने

Kamlesh Kumar Ojha said...

bahut badiya sir ji